हरियाणा के परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) की तर्ज पर 9 राज्य अपने यहां परिवारों को पहचान देने जा रहे हैं। जल्द ही हर परिवार की फैमिली आईडी बनाई जाएगी। कई राज्यों ने इसकी घोषणा कर दी है, कई जल्द करने जा रहे हैं। उत्तराखंड में नवंबर में इसकी घोषणा होगी। राजस्थान में जनाधार, कर्नाटक में कुटुंब, मध्य प्रदेश में समग्र और उत्तराखंड में इस योजना को उतराकुल नाम दिया जाएगा। परिवार पहचानपत्र प्राधिकरण के अनुसार, सबसे पहले हरियाणा ने योजना लागू की। शुरूआती दौर में आईडी में खामी थी। बता दें कि कुछ राज्यों में विशेष लाभार्थियों के लिए पोर्टल बने थे, लेकिन पूरे परिवार की आईडी हरियाणा पीपीपी बनने के बाद बनाई जा रही है। हरियाणा ने वर्ष 2017-18 में परिवार समृद्धि योजना शुरू की थी। बाद में इसे परिवार पहचानपत्र किया गया।
2019-20 में इसे लागू कर दिया गया। इनके अधिकृत हस्तक्षेप व निर्णयों के लिए अक्टूबर 2021 में परिवार पहचानपत्र प्राधिकरण ऑथॉरिटी का गठन किया गया। जुलाई 2025 के आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा में करीब 76 लाख 90 हजार 793 फैमिली आईडी हैं। करीब 2 करोड़ 94 लाख 45 हजार 791 सदस्य हैं।
योजना की मौजूदा स्थिति
राजस्थान में जनाधार नाम से योजना शुरू हो चुकी है। 2022 से कार्ड बनने शुरू हो चुके हैं। उत्तराखंड में 9 नवंबर 2025 को उतराकुल नाम से घोषणा की तैयारी है। इस दिन उत्तराखंड दिवस है। मध्यप्रदेश में समग्र नाम दिया गया है। वर्ष 2021-22 में शुरू हुई। उत्तर प्रदेश में परिवार पहचान पत्र नाम से ही आईडी बनेंगी। जून 2025 से इसे लागू किया जा चुका है। कर्नाटक में कुटुंब एप 2021 में लॉन्च हो चुका है, लेकिन सभी परिवारों के लिए अब लागू हुआ है। तमिलनाडु में परिवार कार्ड (फैमिली कार्ड) नाम से अप्रैल 2025 से काम शुरू हो चुका है। बिहार में कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है। डेटा कलेक्शन का काम चल रहा है। महाराष्ट्र में प्रारूप तैयार हो चुका है, काम शुरू करने की तैयारी है।
फैमिली आईडी योजना किया हैं?
फैमिली आईडी योजना एक सरकारी पहल है जिसमें हर परिवार को एक यूनिक पहचान संख्या (Unique ID) दी जाती है। इसका उद्देश्य यह है कि सभी परिवारों का पूरा डाटा डिजिटल रूप से सुरक्षित रहे और उसी के आधार पर उन्हें सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ आसानी से मिल सके। फैमिली आईडी से सरकार को यह जानकारी मिलती है कि किसी परिवार में कितने सदस्य हैं, उनकी आय क्या है और वे किन-किन योजनाओं के लिए पात्र हैं। इससे लोगों को बार-बार अलग-अलग कागज़ जमा करने की जरूरत नहीं पड़ती और योजनाओं का लाभ सीधे पात्र परिवार तक पहुँचता है। ऐसे ही देश के 9 राज्यों में फैमिली आईडी बनाई जा रही हैं।